गुरु -विचार:-
- अपने ह्रदय में "गुरु" स्थापन करना समस्त देवताओं को स्थापन करने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है.:-(ऋग्वेद)
- जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि भजन -कीर्तन ,पूजा-पाठ की अपेक्षा "गुरु-पूजन" ही है.:- (गुरु- उपनिषद)
- चारों पुरुषार्थों -धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष-की प्राप्ति केवल गुरु-पूजन के द्वारा संभव है.:-(याज्ञवल्क्य)
- जीवन की पवित्रता ,दिव्यता, तेजस्विता, एवं परम शांति केवल गुरु-पूजन के द्वारा ही संभव है.:-(ऋषि विश्वामित्र)
- "गुरु-पूजा" से बढ़कर और कोई विधि या सार नहीं है.:-(शंकराचार्य)
- समस्त भौतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों का आदर मात्र गुरु-पूजन है.:-(आरण्यक)
- जो प्रातः काल गुरु -पूजन नहीं करता ,उसका सारा समय,साधना एवं तपस्या व्यर्थ हो जाती है.:-(रामकृष्ण)
- गुरु-पूजा के द्वारा ही "इष्ट" के दर्शन संभव है.:-(गोरखनाथ)
- संसार का सार "मनुष्य जीवन" है, और मनुष्य जीवन का सार गुरु-धारण,गुरु-स्मरण एवं गुरु-पूजन है.:-(सिधाश्रम)
No comments:
Post a Comment